महिलाओं पर बर्बरता सदियों पुरानी है। बस, समय के साथ उसके तरीके बदलते गए। जब भी ऑनर किलिंग की बात होती है तो शामली के खंदरावली केस को जरूर याद किया जाता है। जिले में 90 के दशक में हुई वह सबसे पहली उजागर ऑनर किलिंग थी। जब भरी पंचायत में सरेआम प्रेमी युगल को गंडासे से काट दिया गया। इस नृशंस वारदात के आरोपी सजा काटकर बाहर आ चुके हैं लेकिन सतीश और सरिता की रूह आज भी रोती होगी।
शामली में पिछले ढाई-दशकों में ऐसे न जाने कितने जोड़े बेरहमी से कत्ल कर दिए गए। जिनकी चींखें दबा दी गईं। जो जान की भीख मांगते रहे, पर उनके अपने नहीं पसीजे। कल जो सार्वजनिक होता था आज छिपकर हो रहा है। न जाने कितने सतीश और सरिता बेमौत मारे गए। कुछ सामने आ गए तो कुछ गुमनामी में खो गए। बेटियां जब प्रेम करती हैं तो अपनों और समाज की नफरत का शिकार होती हैं। इन बेटियों को बचाना किसी का एजेंडा नहीं है। ये मारकर फेंक दी जाती हैं तो कभी जला दी जाती हैं। आए दिन ऑनर किलिंग की घटनाएं अखबारों की सुर्खियां बनती हैं और अगले दिन बासी हो जाती हैं। कोई उन्हें याद नहीं रखता।